Thursday 25 February 2016

How to design Bonsai Plant News in Hindi

वृक्षों को बौने रूप में विकसित करने, पेड़ों की कलात्मक कटाई-छंटाई करके उन्हें सुंदर रूप देने की यह अद्भूत कला काफी प्राचीन है. बोनसाई में पौधे को छोटा करके मनचाहा आकार दिया जा सकता है, परंतु उसके फलों का आकार नहीं बदला जा सकता. अतः बोनसाई में छोटे-छोटे उगने वाले फल-फूल के पेड़ ही लगाने चाहिए. बोनसाई उन वृक्ष-पौधों की अधिक आकर्षक बन सकती है, जिनकी पत्तियां छोटी, गूदेदार, मोटी और चमकदार हों. बोनसाई लिए तीन प्रमुख बिन्दुओं पर ध्यान देना आवश्यक है:
(1) पौधों का चयन:- बोनसाई के लिए हमें उन पौधों का चयन करना चाहिए जो अपनी प्रकृति से ही बौने होते हों. बोनसाई के लिए उपयुक्त पहाड़ी पौधे है पाईन, रॉक्सबर्गी ओरोकेरियाजुस, कॉनीफर, यूनीपेरस हॉरीजेन्टालिस आदि. इनको इच्छानुसार स्वरूप दिया जा सकता है. छोटी आयु में ही फूलने वाले पौधे, जैसे कि एडेनियम अत्यंन्त उपयुक्त पौधा है. बबूल, बोगेनविला, बॉटल ब्रश, गुलमोहर, गुडहल, इकसोरा आदि फूलने वाले पौधे भी बोनसाई के लिए उपयुक्त है. फल देने वाले पौधों-शहतूत, आम, नांरगी, नींबू, इमली आदि के भी बोनसाई बन सकते है.
चौड़े पत्तों वाले पौधे जैसे बरगद, पाकड़, पीपल इनके तने शीघ्र ही मोटे हो जाते है, जिससे ये कई वर्ष पुराने होने का आभास देते हैं. किसी अच्छी नर्सरी से पौधे लेकर उनकों आप अपनी इच्छानुसार कोई भी आकार दे सकते है.
(2) पात्र:- अच्छे बोनसाई के लिए उपयुक्त पात्र का होना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि पौधे के चयन का. मोटी दीवार वाले वर्गाकार व चैकोर पात्र सीधी पद्धति के लिए उपयुक्त हैं. एक ओर झुके पौधे के लिए गहरे पात्र ठीक होते है. अंडाकार पात्र घुमावदार व नरम तनों वाले पौधे के लिए एवं अर्धलटके बोनसाई के लिए कुछ छिछले पात्र ही उचित रहते हैं पात्रों की लंबाई पौधों की ऊंचाई के दो तिहाई हिसाब से होनी चाहिए.
(3) खाद व पानी:- बोनसाई पेड़ के लिए सामान्यतौर पर 1/4 हिस्सा बगीचे की मिट्टी, 1/4 हिस्सा सड़े गोबर की खाद और 2/4 हिस्सा कांकरीट मिट्टी का उपयोग किया जाता है. समय-समय पर एक-दो चम्मच बोनमील का प्रयोग करें. यदि सड़ी हुई खली की सूखी खाद मिल सके, तो उसका प्रयोग उचित होगा. इन पौधों की सिंचाई गर्मीयों में दो बार (सुबह व शाम) तथा सर्दियों में प्रतिदिन एक बार करें.
बोनसाई के पौधो का रोपण:- गमले में पौधा लगाने से पहले पौधे को पानी से सीचिए, जिससे जड़ो की चारों ओर की मिट्टी ढीली हो जाए. अब पौधे को बांस की खपच्ची से निकाल कर पौधे की मुख्य जड़ों को काट दीजिए. पौधे के मुख्य तना व शाखाओं को छोड़कर बाकी शाखाएं भी काट दीजिए. अब पौधे को पात्र में रखकर तैयार की गयाी मिट्टी व खाद डालकर चारों ओर से दवा दीजिए. पानी पौधे के ऊपरी भाग से हजारे से दीजिए. पौधों को प्रत्येक दो वर्षो में वर्षो ऋतु में पुनर्रोपण कीजिए.
(4) कटाई-छंटाई:- बोनसाई पौधे की लगातार कटाई-छंटाई और देखरेख करते रहनी चाहिए. इसके किनारें की टर्मिनल बड्स को काटते रहने से पेड़ का विकास अच्छा होता है. पेड़ को सुंदर एवं मनचाहा के आकार देने की प्रक्रिया में तना बांधने हेतु तांबे के तार का प्रयोग किया जा सकता है. तार बांधने के एक दिन पहले पेड़ को पानी देना बंद कर देना चाहिए. इससे पेड़ लचीला रहता है. जब आकृति सही दिशा ले लें और पेड़ विकसित हो जाए तो इन तारों को खोल देना चाहिए.
(5) बोनसाई की देख-रेख:- पौधों को अधिक समय तक कमरे में न रखें. गमलें या पात्रों से पानी के निकास का उचित यप से निरीक्षण करते रहें. पौधों में कीट लगने पर कीटनाशक दवा का छिड़काव करें. बानसाई के गमलों को कम से कम चार घंटे सूर्य की रोश्नी में रखना आवश्यक हैं गर्मी  में ऐसे स्थान पर रखे जहां लगातार कई घंटे और विशेषकर तीसरे पहर की धूप बोनसाई पौधों पर न पड़े. इतना परिश्रम करने के पश्चात आप देखेंगे की आपका बोनसाई वृक्ष आपके मनचाहे आकार में सुंदर व मनमोहक दिखेगा.

Thursday 4 February 2016

Bonsai Plants- Bonsai Plants News in Hindi

घर को नेचुरल लुक देने के लिए बोनसाई प्लांट लगाने का क्रेज बढ़ गया है। गमलों में सिमटते गार्डन अब ड्राइंग रूम तक पहुंचे हैं। बोनसाई में रॉक स्टाइल, ट्वींस स्टाइल, वाटरफॉल स्टाइल, फॉरेस्ट फॉर्म, ग्राफ्िटग, ट्वींगट्रंग जैसर स्टाइल के बोनसाई प्लांट लोगों को खूब पसंद रहे हैं। ये प्लांट्स केवल खरीदे जा रहे हैं, बल्कि बोनसाई करने की टेक्नीक को सीखा भी जा रहा है।
यह होता है बोनसाई
पेड़ों को पौधों की तरह ही स्वरूप देना बोनसाई आर्ट है। इसमें पौधे को पेड़ की तरह आकार में बढ़ने नहीं दिया जाता, पर इसका विकास एक पेड़ की तरह ही किया जाता है। सरल शब्दों में पेड़ का बौना स्वरूप या छोटा रूपांतरण।
फलदार पौधों का ज्यादा क्रेज
नर्सरी संचालक गणेश सैनी बताते हैं कि बोनसाई के लिए फलदार पौधों का सबसे ज्यादा क्रेज है। आम, अमरूद, चीकू, जामुन, संतरा, नीबू, अंजीर, आड़ू, अनार, इमली के फलदार पौधों के अलावा पीपल, बरगद, नीम, पारीजात, गुलमोहर, गुलर के पौधे भी बोनसाई किए जा रहे हैं।
25 फीसद सीखते हैं बोनसाई करना
बोनसाई एक्सपर्ट रणजीतसिंह ने बताया कि शहर में बोनसाई कराने और करने वालों की संख्या पिछले कुछ वर्षों में दोगुनी बढ़ी है। हायर मिडिल क्लास और एलिट क्लास में बोनसाई सबसे ज्यादा पसंद किया जा रहा है। अब यह स्टेटस सिंबल भी बनता जा रहा है। बोनसाई के लिए लोग डेढ़ लाख रुपए तक भी खर्च कर रहे हैं। युवाओं का पौधों को बोनसाई करने की तकनीक सीखने के प्रति रुझान भी बढ़ा है। बोनसाई पसंद करने वालों में से 10 फीसद लोग बोनसाई प्लांट खरीदना ही प्रिफर करते हैं तो 25 फीसद लोग बोनसाई करना सीखते भी हैं।
वास्तु और गिफ्ट के अनुसार भी
रणजीत सिंह बताते हैं कि कई लोग वास्तु के अनुरूप भी बोनसाई प्लांट डेवलप कराते हैं। इसमें त्रिवेणी (पीपल, बरगद और नीम), पीपल, बरगद, बिल्वपत्र, पारीजात और कुछ फलदार पौधों के बोनसाई शामिल हैं। किसी ऑकेजन पर गिफ्ट के बतौर भी बोनसाई देना प्रिफर किया जा रहा है।
ऐसे करें बोनसाई


* पौधा लगाने से पहले उसे कौनसा शेप देना है इस बारे में सोचें।
* करीब 4 इंच ऊंचे गमले की सतह में 3-4 छेद कर उस पर जाली बिछा लें।
* जाली पर ईंट के 1 इंच के टुकड़ों की परत बिछाएं।
* इस सतह पर तैयार मिट्टी की ढाई इंच की परत बिछाकर पौधा लगाएं।
*गमले के अनुसार ऊंचाई वाला पौधा चुनें। पौधा ऐसा हो जिसमें मल्टीपल ब्रांचिंग हो।
इन बातों का रखें ध्यान
* केवल उन्हीं पौधों को बोनसाई किया जा सकता है, जिनकी एक मुख्य जड़ हो। कई जड़ों वाले पौधे जैसे खजूर, नारियल या झा़िड़यों का बोनसाई नहीं किया जा सकता।
* बोनसाई के लिए मिट्टी तैयार करने के लिए 1 किलो काली मिट्टी में 1 किलो गोबरखाद, 1 मुट्ठी ईंट का गेंहू के दाने जितना बड़ा चूरा, 1 मुट्ठी रेत और 4 मुट्ठी कोकोपीट का मिश्रण लें।
* मिट्टी ज्यादा महीन या मोटी हो।
* बोनसाई प्लांट को अधिक तापमान से बचाना होता है।

* बोनसाई प्लांट वाले गमले में गुड़ाई सालों तक भी नहीं की जाती।